Bihar news दशहरा के अवसर पर मारवाड़ी महिलाओं द्वारा दांडी की प्रस्तुति

संवाददाता मोहन सिंह बेतिया
नगर के जोड़ा शिवालय मंदिर परिसर में दुर्गा मंदिर के बाहर मारवाड़ी महिलाओं ने नवरात्रि के अवसर पर मारवाड़ी संस्कृति में महत्वपूर्ण डांडिया नृत्य की मोहक प्रस्तुति की एवम दीपक की रंगोली सजाई। दुर्गापूजा से जुड़े इस मोहक नृत्य में नगर निगम की निवर्तमान सभापति गरिमा देवी सिकारिया मुख्य रूप से शामिल रहीं।
इस मौके पर उन्होंने अपनी विशिष्ट संस्कृति का हवाला देकर बताया कि नवरात्रि में ‘डांडिया’ और ‘गरबा’ नृत्य का महत्त्व बहुत ज्यादा होता है, क्योंकि माना जाता है कि ये मां की पूजा से जुड़े हैं। इसी वजह से नवरात्रि के दिनों में केवल पंडालों में विशेष रूप से यह नृत्य किया जाता है। गुजरात और राजस्थान जैसे राज्य के प्रायःसभी शहरों में गठित क्लबों और रिसॉर्ट्स में भी गरबा और डांडिया के स्पेशल प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं।उन्होंने बताया कि नवरात्रि की विशेष पूजा-उपासना में गरबा और डांडिया का सांस्कृतिक धार्मिक महत्व है।
और इन दोनों नृत्यों में कलात्मक फर्क होता है।
डांडिया और गरबा दोनों ही तरह के नृत्य मां दुर्गा भक्ति से जुड़े हुए हैं। डांडिया नृत्य के जरिए मातेश्वरी दुर्गा देवी और महिषासुर के बीच हुए युद्ध को दर्शाया जाता है। इस नृत्य में डांडिया की रंगीन छड़ी को मां दुर्गा की तलवार के तौर पर भी देखा जाता है। इसीलिए इसको कई जगह तलवार नृत्य या ‘डांस ऑफ स्वॉर्ड’ भी कहा जाता है। वहीं अपने बिहार में ‘झिझिया’ नृत्य के रूप में लोकप्रिय ‘गरबा नृत्य’ मां दुर्गा की प्रतिमा या उनके लिए जलाई गई ज्योत के आसपास किया जाता है। ये नृत्य माता के गर्भ में जीवन का प्रदर्शन करने वाली लौ का प्रतीक है। गरबा नृत्य के दौरान मिट्टी के घड़ों में बने गोलाकार छिद्र जीवन चक्र को दर्शातें हैं।