सुनील पांडे : वरिष्ठ पत्रकार
भारत सरकार द्वारा करोना वायरस की संक्रमण के चलते 21दिनों तक लाकडाउन का असर अब पर्यावरण पर दिखने लगा है। भारत के लगभग 90 शहरों मेें विगत कुछ दिनों में किए गए परीक्षण में न्यूनतम वायु प्रदूषण दर्ज किया गया है,जिससे यह बात साबित हुई है की पर्यावरण प्रदूषण में पहले की अपेक्षा अब कमी आई है। पर्यावरण विशेषज्ञ इस बात को लेकर उत्साहित हैं कि लाकडाउन के तहत इन दिनों ज्यादातर लोग अपने घर पर ही हैं और बाहर नहीं निकल रहें हैं ।अतः इससे परिवहन साधनों के संचालन में पहले की अपेक्षा पर्याप्त कमी आई है तथा साथ ही साथ फैक्टरियां एवं कल-कारखाने भी बन्द हैं ।सरकार द्वारा स्थापित ‘सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च ‘ की एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते किए गए ऐतिहात के तहत भारत की राजधानी दिल्ली में पीएम 2.5 में 30% की कमी दर्ज की गई है ,जबकि अहमदाबाद एवं पुणे में 15% की कमी दर्ज की गई है । नाइट्रोजन ऑक्साइड प्रदूषण का स्तर जो श्वसन स्थितियों में जोखिम को बढ़ा सकता है उसमें भी कमी दर्ज की गई है। एनओएक्स प्रदूषण मूलतः भारी वाहनों एवं हल्के वाहनों के संचालन से बढ़ता है। एनओएक्स प्रदूषण वर्तमान समय में पुणे में 43% मुंबई में 38% एवं अहमदाबाद में 50% की कमी दर्ज की गई है। यह पर्यावरण के लिए एक सुखद संकेत है ।विपदा के समय ही सही वायु प्रदूषण में कमी हमें सुखद संकेत तो अवश्य देती है । यथार्थ में यदि हम अपना हित चाहते हैं तो हम सबको पर्यावरण के प्रति सचेत एवं जागरूक रहना होगा। हम सब पर्यावरण के प्रति यदि सचेत रहेंगे तो हमें बहुत सी परेशानियों से अपने आप निजात मिल जायेगी ।पर्यावरण का संरक्षण करना प्रत्येक मानव का मूल कर्तव्य है ।
पर्यावरण से यदि हम मित्रता करेंगे तो भविष्य में हम सुखी एवं सुरक्षित रहेंगे और हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इसका फायदा उठाएंगी। पर्यावरण वर्तमान परिप्रेक्ष्य में एक वैश्विक समस्या बन गया है ,इस पर प्रत्येक देश को इस विषम परिस्थिति में विचार करने की परम आवश्यकता है, जिससे पर्यावरण के संरक्षण में हम अपना अमूल्य योगदान दे सकें । यह धरती एवं प्रकृति के प्रति हमारा सबसे बड़ा उपकार होगा।