
सुनील पांडेय : कार्यकारी संपादक
भारतीय इतिहास पर यदि नजर डालें तो नेहरू परिवार एक समृद्ध परिवार था। भारतीय स्वाधीनता संग्राम में इनका महत्वपूर्ण योगदान है ,चाहे वह पंडित मोतीलाल नेहरु रहें हो या पंडित जवाहरलाल नेहरू दोनों ने भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। आइए कांग्रेस के नेहरू परिवार पर संक्षिप्त नजर डालें । जहां तक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर नेहरू का प्रश्न है उनके केवल एक संतान थी जिनका का नाम इंदिरा गांधी था। इंदिरा गांधी का विवाह फिरोज गांधी के साथ हुआ था । इंदिरा गांधी एवं फिरोज गांधी के 2 पुत्र थे राजीव गांधी एवं संजय गांधी। संजय गांधी की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में हो गई थी। वहीं दूसरी तरफ राजीव गांधी का भारतीय राजनीति में संजय गांधी के मृत्यु के बाद पदार्पण होता है। बाद में वह भारत के प्रधानमंत्री बने। देश के लिए उन्होंने बहुत से कार्य किए उनके योगदानों के लिए कृतज्ञ भारत सदा उनका ऋणी रहेगा। राजीव गांधी का विवाह श्रीमती सोनिया गांधी के साथ हुआ था उनके दो संतान हैं राहुल गांधी एवं प्रियंका गांधी। वहीं दूसरी तरफ जब हम संजय गांधी पर नजर डालते हैं तो उनका विवाह श्रीमती मेनका गांधी के साथ हुआ था। संजय गांधी के केवल एक संतान है जिसका नाम वरुण गांधी है। अत्यंत अल्प आयु में वरुण गांधी के सर से पिता का साया छूट गया था। उनका पालन पोषण एक माता और पिता के रूप में श्रीमती मेनका गांधी ने किया। वर्तमान में वरुण गांधी उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से सांसद हैं। अब हम राहुल गांधी और वरुण गांधी दोनों पर तुलनात्मक पर नजर डालते हैं। राहुल गांधी भारत की सबसे पुराने राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं और वर्तमान में वायनाड क्षेत्र से सांसद भी हैं । अपने अनाप-शनाप बयानों के चलते सदा वे चर्चा में बने रहते हैं और उनकी टिप्पणियों का मजाक आए दिन जनसंचार माध्यमों से बनता रहता है। बड़े दुख की बात है एक प्रसिद्ध राजनेता परिवार से संबंध होने के बावजूद उनका ऊल-जुलूल बयान हमेशा चर्चा का विषय बना रहता है और उस पर हास -परिहास किया जाता है। संजय गांधी के पुत्र वरुण गांधी को एक प्रखर वक्ता एवं मंझा हुआ राजनेता माना जाता है। वह भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं और एक निष्ठावान कर्मवीर कार्यकर्ता की भांति अपने क्षेत्र के कार्यों में लगे रहते हैं । देश के विकास में उनसे जो योगदान हो पाता है समय-समय पर करते रहते हैं। वह एक प्रखर राजनेता के अलावा एक अच्छे लेखक भी हैं । वह समय-समय पर अपने लेखन के माध्यम से विभिन्न समाचार पत्रों में स्तंभ लेखन भी किया करते हैं। उनके संस्कारों को देखकर ऐसा लगता है एक माता ने उन्हें किस तरह का संस्कार दिया है वह बड़े विनम्र भाव से नपे तुले शब्दों में अपनी बात कह देते हैं यह उनकी वाक पटुता है जिसमें निसंदेह उनकी माता द्वारा दिए गए अच्छे संस्कारों का योगदान है। वर्तमान समय में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है जिसमें वह किसी पद पर भी नहीं है केवल सांसद हैं लेकिन उन्हें इस पर कोई दुख नहीं है वह अपने कार्यों को ईमानदारी एवं निष्ठा पूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।कोरोना संक्रमण जैसे संकट की इस विषम घड़ी में वरुण गांधी 2 अप्रैल से अनवरत सांसद की रसोईं से 20,000 खाने का पैकेट भूखे एवं गरीब लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं तथा साथ ही साथ लॉक डाउन का पालन करने का लोगों से विनम्र अनुरोध भी कर रहे हैं । यही उनके विशाल व्यक्तित्व का सबसे बड़ा पहलू है। हाल ही में हमारा देश कोरोना संक्रमण जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। संकट की इस विषम परिस्थिति में भी माननीय राहुल गांधी का बयान हास्यास्पद सा लगता है की कोरोना संक्रमण से लॉकडाउन द्वारा नहीं निपटा जा सकता। जब पूरी दुनिया सहित विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ )इस बीमारी से निपटने के लिए लॉक डाउन को को सबसे बड़ा हथियार बता रहा है तो राहुल गांधी का बयान हास्यास्पद प्रतीत होता है । आज भारत संकट के जिस दौर से गुजर रहा है ऐसी विषम परिस्थिति में सभी राजनीतिक दलों को अपने राजनीतिक विद्वेष को भुलाकर कर सरकार के साथ खड़ा होकर उसके कार्यों का समर्थन एवं सराहना करनी चाहिए तथा साथ साथ सरकार को समय-समय पर उचित सलाह भी देनी चाहिए ।यही वर्तमान समय में युग एवं परिस्थिति के अनुसार राजधर्म है । विपदा की इस विषम परिस्थिति में भी राहुल गांधी को बचकानी राजनीति सूझ रही है । इस समय तो इस तरह की राजनीति से राहुल गांधी को बाज आना चाहिए । यह एक स्वच्छ एवं परिपक्व लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।