संवाददाता गुलाब चंद्र गौतम : मान्धाता लाखूपुर बहुजन समाज में समय समय पर कई महापुरुषों ने जन्म लिया है ,इसी कड़ी में 15 मार्च 1934 को पंजाब प्रांत के जिला रोपड़ गाँव खवासपुरा में कांशीराम जी का जन्म हुआ । कांशीराम जी द्वारा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रक्षा उत्पादन एवं अनुसंधान संस्थान पूना में वैज्ञानिक के तौर पर उनकी नोकरी लगी। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तब
उन्हें बाबा साहेब अंबेडकर एवं महापुरुषों की विचारधारा के बारे में बिलकुल भी जानकारी नहीं थी अथवा मिशनरी ज्ञान बिलकुल भी नहीं था, कारण कि अम्बेडकरवादी माहौल उनको कभी देखने को मिला नहीं, सच्चा इतिहास किसी ने पढ़ाया नहीं और सन्तों
महापुरुषों की विचारधारा की बात किसी से सुनी नहीं तो फिर उन्हें मिशन का ज्ञान कैसे होता क्योंकि व्यक्ति कोई भी बात देखकर, सुनकर अथवा पढ़कर ही सीखता है। पूना में नोकरी के दौरान उन्हें अपने कुछ
साथियों के द्वारा मिशन के बारे में कुछ जानकारी मिली तो जानकर हैरान रह गए एवं सच्चाई को गहराई से जानने के लिए उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा लिखित साहित्य पढ़ना शुरू किया एवं उसी दौरान वहाँ की मैनेजमेंट ने डॉक्टर अम्बेडकर जयन्ती का अवकाश रद्द कर दिया , कांशीराम जी का
पहला संघर्ष वहां से ही शुरू हो गया उन्होंने संघर्ष के बल पर बाबा साहेब अंबेडकर जयंती का अवकाश पुनः बहाल करवाने में सफलता हासिल की। उसके बाद कांशीराम जी अवकाश लेकर दिल्ली चले गए जहाँ पर बाबा साहेब अंबेडकर मिशन पर गहन अध्ययन किया जिससे उनको सच्चे इतिहास एवं महापुरुषों की वास्तविक विचारधारा का ज्ञान हुआ।
डॉ बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन का ज्ञान होने पर कांशीराम जी के मन में बार बार एक ही सवाल उठ रहा था कि इससे ज्यादा क्या विडम्बना हो सकती है कि हमारा युवा अपनी पढ़ाई पूरी कर लेता है एवं प्रतियोगी परीक्षा पास करके अधिकारी व कर्मचारी तक बन जाता है लेकिन तब तक भी उसे सच्चाई का कुछ भी मालूम नहीं चलता है जिसके कारण वह जीवन भर मनुवादियों की लूट का शिकार बना रहता है इसलिये मैं भविष्य में ऐसा अभियान चलाऊंगा की हमारे सभी लोगों को अपने सच्चे इतिहास एवं महापुरुषों की विचारधारा व उनके जीवन संघर्ष की विस्तारपूर्वक जानकारी प्राप्त हो सके।साहब कांशीराम जी ने अपने अभियान को अंजाम देने के लिए अपने निजी जीवन में पांच संकल्प लिए कि :-
1. मैं इस नोकरी को छोडूंगा साथ ही पूरे जीवनभर कभी भी नोकरी नहीं करूँगा।
2. मैं अपने घर और परिवार को छोडूंगा साथ ही जीवनभर कभी भी अपने घर नहीं जाऊंगा।
3 .मैं आजीवन अविवाहित रहूँगा।
4 .मैं अपने जीवन में किसी भी प्रकार की चल -अचल संपत्ति नहीं बनाऊंगा।
5 .मैं जीवनभर बाबा साहेब अंबेडकर के मिशन की जानकारी अथवा महापुरुषों की विचारधारा समाज में फैलाने का काम करूँगा।
अपने संकल्प के अनुसार उन्होंने बतौर वैज्ञानिक राजपत्रित अधिकारी की नोकरी छोड़ी, घर परिवार छोड़ा,चल व अचल संपत्ति को त्यागकर निकल पड़े साईकिल से बाबा साहेब अंबेडकर की विचारधारा को बहुजन समाज में पहुंचाने के लिए। कांशीराम जी सबसे पहले बाबा साहेब अंबेडकर की कार्यस्थली महाराष्ट्र गये वहाँ जाकर उन्होंने बाबा साहेब द्वारा स्थापित रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की सदस्यता लेकर इसे मजबूत बनाने का प्रयास किया एवं वहाँ 8 वर्षों तक रहे,लेकिन स्वार्थी किस्म के लोगों की गतिविधियों से निराश होकर वे वापिस दिल्ली लौट आये। दिल्ली आने के बाद उन्होंने बामसेफ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉइज फेडरेशन) नाम से कर्मचारियों का एक संगठन बनाया एवं इस संगठन के माध्यम से कर्मचारियों को ‘ Pay Back To Society ‘ के आधार पर समाज के लिए तैयार करने का अभियान शुरू किया उसके बाद डी एस फोर (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) संगठन के माध्यम से समाज में राजनैतिक चेतना जगाना शुरू किया। बामसेफ और डी एस फोर के माध्यम से सामाजिक व राजनैतिक जागरूकता फैलाने का उन्होंने जबरदस्त अभियान चलाया और फिर 14 अप्रेल 1984 को बहुजन समाज पार्टी नाम से नये राजनैतिक दल की स्थापना की एवं पूरे देश में साइकिल से घूम घूम कर बहुजन समाज के लोगों को बाबा साहेब अंबेडकर का मिशन समझाया यानी कि समाज को अपने सच्चे इतिहास एवं महापुरुषों की विचारधारा से अवगत करवाया साथ ही मनुवादियों की रणनीतियों को समाज के सामने रखा तो लोगों को उनकी बातें समझ में आने लगी जिससें लोग मिशन से जुड़ते गये और कारवाँ बनता गया तथा बहुजन समाज पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा ही नहीं दिलवाया बल्कि पूरे देश में तीसरे नंबर की पार्टी बनाकर खड़ी करदी। कांशीराम जी के जीवन संघर्ष की बदौलत ही बहुजन समाज पार्टी की उत्तर प्रदेश में चार बार सरकार बनी और बहन मायावती को चार बार मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला। कांशीराम जी का कहना था कि हमारे लिए राजनीति बहुत जरूरी है लेकिन उससे भी ज्यादा महापुरुषों की विचारधारा हमारे लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारा मिशन व्यवस्था परिवर्तन का है । हम लोग खड़ी सामाजिक व्यवस्था को समान व्यवस्था में बदलना चाहते हैं जिसमें ‘न कोई ऊँचा हो और न कोई नीचा हो बल्कि सब एक समान हो ‘ इसे मान्यवर पेन के उदाहरण से समझाते थे। इस व्यवस्था परिवर्तन के लिए कांशीराम जी पूरे देश में घूम घूम कर लोगों को समझाते थे जिसें कैडर नाम दिया गया था।कांशीराम जी का कहना था कि इस देश में 85 प्रतिशत मूलनिवासी रहते हैं जिन पर 15 प्रतिशत विदेशी मूल के लोग राज करते हैं जबकि लोकतंत्र में होना यह चाहिए कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी। ‘उनका यह भी कहना था कि बहुजन समाज के 85 प्रतिशत वोट हैं और 15 प्रतिशत वाले लोग हम पर राज कर रहे हैं लेकिन अब ‘वोट हमारा राज तुम्हारा नहीं चलेगा, नहीं चलेगा।’ कांशीराम जी का मानना था कि हमारे लोगों की जमीनें छीनकर ये मनुवादी लोग भू स्वामी बन बैठे और कुछ जमीन को सरकारी घोषित कर दिया गया, इसलिये “जो जमीन सरकारी है वो जमीन हमारी है उसे हम लेकर रहेंगे। “ उनका ,यह भी कहना था कि हम इस देश के मालिक थे और मालिक मांगता नहीं है बल्कि देता है इसलिये ‘हमें मांगने वाला नहीं बल्कि देने वाला समाज बनाना है।’वे यह भी समझाते थे कि हमारे लोग पहले तो मनुवादियों की चमचागिरी करते हैं और बादमें लालच में आकर बिक जाते हैं इसलिये हमें बिकने वाले नहीं बल्कि टिकने वाले नेता तैयार करने हैं।
जैसा कि 6 दिसंबर 1956 को बाबा साहेब अंबेडकर के परिनिर्वाण के बाद धीरे धीरे बाबा साहेब अंबेडकर को भूला दिया गया था, महाराष्ट्र के अलावा बहुत ही कम यानी कि नहीं के बराबर बाबा साहेब की जयंती मनाई जाती थी और उनके मिशन का तो किसी को भी ज्ञान नहीं था लेकिन आज पूरे देश में अम्बेडकर युग आ चुका है, गाँव गाँव में बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती मनाई जाने लगी है, उनकी जगह जगह प्रतिमाये स्थापित की जा रही हैं साथ ही बाबा साहेब के नाम पर हजारों संगठन बन चुके हैं इसके अलावा सयुंक्त राष्ट्र संघ एवं सैकडों अन्य देशों में भी बाबा साहेब को याद किया जाने लगा है यहां तक की विश्व की महाशक्ति अमेरिका ने भी अपनी संसद में बाबा साहेब अंबेडकर की प्रतिमा स्थापित की है एवं बाबा साहेब को सिम्बल ऑफ नॉलेज घोषित किया है। इस जागृति का श्रेय कांशीराम जी को ही जाता है क्योंकि उनके अलावा पूरे भारत में ऐसा एक भी नेता नहीं है जो कि गजेटेड ऑफिसर के पद पर होते हुए अपनी नोकरी ,,घर परिवार,रिश्तेदार सब छोड़कर पूरे देश में साईकिल से घूम घूम कर समाज को जागरूक करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया हो,इसलिए तो कहा जाता है कि ‘कांशीराम तेरी नेक कमाई, तूने सोयी कोम जगाई।’
बहुजन नायक साहब कांशीराम जी के86 वे जन्मदिवस पर उपस्थित रामचंद्र बौद्घ प्रमोद गौतम मनोज एडवोकेट गौतम विकास गौतम मास्टर मनोज कुमार राम सजीवन प्रमोद गुप्ता अध्यापक बहुजन नेता सुरेन्द्र प्रताप यौगेश गौतम दिलीप गौतम रवि गौतम अनिल बौद्ध राकेश गौतम पूर्व प्रधान जनार्दन कोरी विशाल बौद्ध हीरालाल बाम्बादीन राज कुमार कमलेश गौतम पंचायत राज कर्मचारी व ग्राम प्रधान लाल चन्द्र निर्मल लाखूपुर के यहा काफ़ी संख्या में महिला पुरूष बच्चे भी उपस्थित रहे ।