सेना का प्रशिक्षण केंद्र बनाने को तैयार हो रही है चंबलघाटी, आर्मी जवानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
मनोज कुमार राजौरिया संवाददाता इटावा : दशकों तक कुख्यात डाकुओं की शरणस्थली रही उत्तर प्रदेश के इटावा जिले की चंबल घाटी को सेना का प्रशिक्षण का केंद्र बनाने की तैयार हो रही है।
इटावा जिले मे चंबल नदी किनारे उतरे करीब तीन हेलीकाॅप्टर क्षेत्र में चर्चा का विषय बने रहे। इस दौरान राहगीर चंबल पुल पर तमाशबीन बने रहे और क्षेत्र की जनता भयभीत दिखाई दी। कुछ समय पश्चात सैनिक गाड़ियों से वापस बकेवर की तरफ चले गए लेकिन प्रशासन को इस बात की भनक नहीं लग सकी। चंबल के रेत में अचानक एक साथ आधा दर्जन हेलीकाॅप्टर उतरने से क्षेत्र की जनता आश्चर्य चकित रह गई। चंबल पुल पर राहगीरों का तांता लग गया। इसी बीच कुछ समय में हेलीकाॅप्टर तो हवा में उड़ गए लेकिन चंबल नदी किनारे फौजी ड्रेस में करीब एक सैकडा जवानों की फौज दिखाई दी।
सभी जवान एक से डेढ घंटे तक रेत में चंबल पुल से करीब दो किमी ऊपर नदा मिटहटी गांव के नीचे खडे रहे। तदोपरांत दो टोली बनाकर चंबल पुल पर पहुंचे और इसी बीच चंबल पुल पर पहुंची चार गाड़ियों में सवार होकर चकरनगर की तरफ चले गए। इस बीच जब एक स्थानीय पत्रकार द्वारा एक सैनिक से बात की गई, तो उसने अपना नाम पता बताने से इंकार किया और सिर्फ इतना बताया कि वह सैनिक है व कानपुर से रिहर्सल के लिए आए हैे। चंबल किनारे उतरे हेलीकाॅप्टर क्षेत्र की जनता में चर्चा का विषय बने रहे।
सहसो थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार शर्मा का कहना है कि सेना के अधिकारियों का जो भी मूवमेंट चंबल नदी के किनारे था वो बेहद ही गोपनीय था। इस संबध में किसी भी तरह को अधिकारिक विजिट का कोई पत्राचार अधिकारिक स्तर पर नहीं किया गया है। दोपहर 2 बजे के आसपास सेना के जवानों की चंबल नदी के किनारे आवाजाही देखी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि शायद सेना के जवानों की जंगल ट्रेनिंग हो रही होगी। जिसकी जानकारी सेना के स्तर पर प्रचारित करना मुनासिब नहीं समझा गया। इसी बाबत सेना की ओर से किसी भी स्तर पर जानकारी स्थानीय पुलिस प्रशासन को प्रदत्त नहीं कराई गई है। स्थानीय लोगों ने तीन हैलीकाप्टरों के चंबल नदी के उपर उड़ते हुए देखे जाने की पुष्टि भी की है लेकिन इन का मकसद क्या था यह स्पष्ट नहीं हो सका है।