संवाददाता रनवीर सिंह आगरा : यदि कंस बध से जुड़ी आकाश वाणी नहीं होती तो श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा की जगह बटेश्वर के शोरी पुर में होता।बटेश्वर श्रीकृष्ण के पितामाह महाराजा सूरसेन की राजधानी थीं देवकी को ब्याह ने वसुदेव की बरात यही से मथुरा गई थी विवाह के बाद कंस अपनी बहन देवकी का आठवां पुत्र तेरा काल बनेगा , इस पर कंस ने देवकी ओर वसुदेव को मथुरा के कारागार में डल वादिया।
बटेश्वर में दुआपुर युग का प्रमाण मौजूद है।
ज्योतिषियों ने कंस के पिता महाराज उग्रसेन को सलाह दी थी कि कंस उनके । राज्य के विनाश का कारण बनेगा ।इस पर 12 वर्ष की यमुना में उन्होंने बाह दिया था। इस के बाद कंस बटेश्वर की एक विशाल करार से टकराया था तभी उसका नाम कंस करार पड़ा जो आज भी मौजूद है।कंस वद के बाद भगवान कृष्णछे महीने शोरी पुर मेरहे।कर्ण और कुंती का जन्म भी । बटेश्वर में ही हुआ था। शोरी पुर में महाराजा सूरसेन का विशाल जीर्ण शीर्ण किला आज भी मौजूद है।
बटेश्वर के प्रचीन खण्डरों में भगवान कृष्ण के पुत्र प्रधुम्न ओर पोत्र अनुरुद्ध के नाम पर दो गांव बसे हुए है।पदम् खेड़ा गांव और खेड़ा नामक गाँव आज भी बसे हुए है।तीर्थ में भगवान कृष्ण और बलदाऊ दुआर जहां हल चलाया गया उस स्थान को अब हलदर का बाग नाम से जानते है।
शोरी पुर बटेश्वर में आज कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर घर घर सजावट कर पालना सजाया जाएगा । मध्य रात्रि जन्मोष्टमी को जन्म उत्सव तक भजन कीर्तन का सिलसिला चलेगा इस के लिए मंदिरों में ओर घर घर मे सुंदर झांकियां भी सजाई जाएँगी।