गुरुग्राम: नयी पीढ़ी को देश की कला व संस्कृति से जोड़े रखने के तहत सेक्टर 54 स्थित सनसिटी स्कूल में आयोजित स्पिक मैके में बुधवार को दक्षिण भारत की विख्यात भरतनाट्यम नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन की ओर से मोहक प्रस्तुति दी गई। जिसे देख सभी दर्शक मन्त्रमुग्ध हो गए। इस दौरान उनके द्वारा दी गई प्रस्तुति उनके नृत्य कौशल का स्वतः ही अहसास करा रही थी जिसकी मौजूद सभी शिक्षकों व छात्र-छात्राओं ने सराहना की।
कार्यक्रम में गीता ने अपनी शिष्या अमृता श्रुति और मधुरा मंच के साथ देवी स्वरूपों पर आधारित प्रस्तुति दी, जिसे सराहा गया। उनकी ओर से मीरा के भजनों पर भी भारतनाट्यम नृत्य को प्रस्तुत किया गया। इसी तरह गीता व उनकी शिष्याओं ने अन्य प्रस्तुतियों से भातनाट्यम नृत्य की ख़ूबसूरती का दर्शकों को अहसास कराया।
सनसिटी स्कूल में आयोजित इस कार्यक्रम में गीता चंद्रन ने कहा कि आज देश में कला, संस्कृति को संजोने की आवश्यकता है। इसे बचाये रखने के लिए अच्छे गुरु का चयन करना बेहद जरूरी है। उन्होंने भरतनाट्यम की विशेषताओं और छात्रों की जिज्ञासाओं का उत्तर देते हुए बताया कि आंतरिक भाव की अभिव्यक्ति का नाम ही नृत्य है। भाव, राग और ताल का अद्भुत समन्वय ही भरतनाट्यम को अन्य शास्त्रीय नृत्यों से अलग पहचान दिलाता है। नृत्य एक कला है, यह सतत् अभ्यास से ही संभव है। उन्होंने सनसिटी स्कूल समेत सभी विद्यालय के छात्र-छात्राओं को भरतनाट्यम की बारीकियों और सही भाव भंगिमाओं से भी परिचित कराया।
सनसिटी स्कूल की प्रधानाचार्या रूपा चक्रवर्ती ने कहा कि “हम बीते 10 वर्षों से प्रत्येक वर्ष इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करते आ रहे हैं। भारतीय शास्त्रीय नृत्य हमारी संस्कृति का आधार है। वर्तमान में हमारा युवा वर्ग पश्चिमी सभ्यता की ओर आकर्षित हुआ है। ऐसे में वह अपने देश की कला व संस्कृति की खूबियों से अछूता न रहे,जिसके लिए कत्थक, भरतनाट्यम के कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है।”
सनसिटी स्कूल की एक छात्रा ने बताया कि “वह भी भरतनाट्यम सीख रही हैं और गीता चंद्रन उनकी आदर्श हैं,”जिस प्रकार वह अपने शिष्यों को नृत्य सिखाती हैं वह अतुल्यनीय है। भरतनाट्यम के प्रति उनका प्रेमभाव और जुड़ाव उनकी प्रस्तुति में दिखाई देता है। भविष्य में उनके नृत्य अकादमी में मैं उनसे एक दिन ज़रूर भारतीय नृत्य कला भरतनाट्यम की शिक्षा लूंगी क्योंकि उनके जैसा शिक्षक कोई नहीं हैं।”
छात्रों के लिए स्पिक मैके संस्था द्वारा समय- समय पर विश्व विख्यात कलाकरों द्वारा कला का प्रदर्शन विद्यालय प्रांगण में किया जाता है। इस संस्था के माध्यम से छात्रों को भारत के विभिन्न स्थानों पर आयोजित राज्य अधिवेशन, राष्ट्रीय अधिवेशन एवं विद्यालय अधिवेशन में प्रतिभाग करने का अवसर मिलता है जिससे उन्हें भारत की सांस्कृतिक विरासत, रीतिरिवाज, पौराणिक कथाओं को जानने अवसर भी मिलता है।
पद्मश्री गीता चंद्रन भरतनाट्यम का जाना-माना नाम है। गीता न सिर्फ शास्त्रीय नृत्य में पारंगत हैं, बल्कि कर्नाटक संगीत पर भी उनकी मज़बूत पकड़ है। विभिन्न कलाओं में माहिर गीता ने पांच वर्ष की अल्प आयु से ही नृत्य सीखना आरंभ कर दिया था। वह स्वर्णा सरस्वती की शिष्या हैं जिन्होंने पारंपरिक तंजुवर दासी परंपरा से संबंधित हैं,उन्होंने नृत्य कला का प्रदर्शन भारत के अलावा विदेशों में भी किया है।
उन्होंने नई दिल्ली में नृत्य वृक्ष नृत्य अकादमी की स्थापना की है। गीता शास्त्रीय नृत्य को एक कदम आगे ले गई हैं। वह कंटेम्पररी आर्ट फ़ॉर्म से जोड़ते हुए समाज में हो रहे अनैतिक अपराधों के ख़िलाफ़ अपना विरोध भी प्रकट करती हैं। गीता ने ‘सो मेनी जर्नीज़’ नाम से एक किताब भी लिखी है। गीता को भारत सरकार का संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, पद्मश्री, सरस्वती पुरस्कार, कलासागर पुरस्कार, कर्मवीर पुरस्कार,स्त्री सम्मान, लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड आदि से सम्मानित किया गया है