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डा हरेन्द्र कुमार राय महामंत्री फुपुक्टा : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2019

डा हरेन्द्र कुमार राय महामंत्री फुपुक्टा : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम 2019 पर मा. महामहिम राज्यपाल जी की सहमति और हस्ताक्षर के बाद अधिनियम का रूप ले चुका है। अब इसके प्रभावी होने मे सिर्फ एक औपचारिकता शेष है। उ प्र शासन इसके प्रबृत्त होने के लिए एक अधिसूचना जारी करेगा। वह सम्भवतः फरवरी मार्च मे निर्गत होगी क्योंकि दोनों आयोगों को अपने काम समेटने के लिए समय भी तो चाहिए। निष्कर्ष यह है कि मार्च तक यह अधिनियम प्रभाव में आ जाएगा।
इस अधिनियम की धारा 18 पर एक नजर डालिए।
18- नियुक्ति प्राधिकारी, आयोग के पूर्व अनुमोदन से किसी अध्यापक को पदच्युत कर सकेगा या उसे सेवा से हटा सकेगा या सेवा से हटाए जाने की कोई नोटिस तामील कर सकेगा या उसे पदावनत कर सकेगा अथवा उसकी परिलब्धियां कम कर सकेगा।
इसके पहले कुछ नहीं, बाद मे कुछ नहीं।
इसके पूर्व के आयोग अधिनियम में ऐसा कुछ नहीं था। हमारी सेवाएं उ प्र राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 की धारा 35 से आच्छादित थीं।इसमें कुल पांच उपधाराएं हैं।मुख्य धारा आप 35(2) को पढ़िये।
35-2- Every decision of the management of such college to dismiss or remove a teacher or to reduce him in rank or to punish him any other manner shall before it is communicated to him, be reported to the vice Chancellor and shall not take effect unless it has been approved by the vice Chancellor.
इससे हमारी सेवाएं लगभग पूर्णतया सुरक्षित थीं। कहीं अगर कोई प्रबंधक कोई दुस्साहस करता भी था तो संगठन के दबाव में असफल हो जाता था। हम कुलपति पर दबाव बनाने में भी प्रायः सफल हो जाते थे परन्तु आयोग के सदस्यों के मामले में शायद ऐसा सम्भव नहीं होगा। यह स्थिति होगी आयोग अधिनियम के लागू हो जाने के बाद आपकी सेवा सुरक्षा के सम्बंध में।
दूसरी सुविधा समाप्त होगी एकल स्थानांतरण की। उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग की धारा 12(1) को पढ़िये।
12-1- Every appointment as a teacher of any teacher of any college shall be maid by the management in accordance with the provisions of this act and every appointment made in contravention thereof shall be void.
Provided that a permanent teacher of an affiliated or associated college, who has been appointed in accordance with the provisions of this act and has completed 10 years service as such and who wishes to be transferred to any other college, may be transferred in the manner prescribed by rules from one college to another, only when the respective management give their consents in writing.
इस अधिनियम में इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है। इसके प्रबृत्त होने के बाद एकल स्थानांतरण की सुविधा समाप्त हो जाएगी। चयन प्रक्रिया कबसे शुरू हो पाएगी, यह तो कोई नहीं बता सकता। करना शुरू भी करेगा तो किससे शुरू करेगा परन्तु यह सही है कि प्रबंधकों द्वारा उत्पीड़न की कार्यवाही तुरंत शुरू हो जाएगी। वैसे तो आपने अगर इसके पहले अपने या किसी और आयोग अधिनियम को पढ़ा होगा तो आपको लगेगा कि यह अधिनियम बिल्कुल कूड़ा है। वैसे भी विभाग से कहा गया कि एक सप्ताह में बनाकर देना है और इसी विधानसभा सत्र मे पेशकर पास कराना है और वह भी सदस्यों को बिना चर्चा का अवसर दिए। हुल्लड़ कराकर इसे पास हुआ मान लिया गया। विधान परिषद में मा ओम प्रकाश शर्मा नेता शिक्षक दल के नेतृत्व में दल के सदस्यों के विरोध को अनसुना ही नहीं कुचल दिया गया जिसके लिए उन्होंने धरना भी दिया।
लेख बहुत लम्बा न हो इसलिए मुख्य बात पर आता हूँ। सरकार के रवैये से स्पष्ट है कि वह हमारे हितों के विपरीत कार्य करने के लिए कृतसंकल्प है। अब हमारे पास संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। उ प्र शिक्षक महासंघ अपनी मागों के लिए संघर्षरत है। फुपुक्टा पंजी.भी उसमें सम्मिलित है। प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक के लगभग 18 छोटे बड़े संगठन इसमें सम्मिलित हैं। इसके पूर्व अनेक शिक्षकों ने संघर्ष का आह्वान करने का अनुरोध भी किया था।
21 जनवरी 2020 को सभी घटक संगठनों के शिक्षक सामूहिक अवकाश लेकर विद्यालयों और महाविद्यालयों मे तालाबंदी और जनपद स्तर पर सामूहिक प्रदर्शन का कार्यक्रम 21 नवम्बर के धरने में ही निश्चित कर दिया गया था। आपसब जानते हैं कि उसदिन भी सरकार ने लाखों शिक्षकों की लखनऊ में उपस्थिति से घबराकर वार्ता का निमंत्रण भेजा और वहां जाने पर मा उपमुख्यमंत्री ने वार्ता की किसी तैयारी न होने पर वार्ता करने मे असमर्थता ब्यक्त कर दिया। यह स्थिति तब है जब प्रदेश का शिक्षक एकजुट और संगठित है। आप अकेले कितना प्रभावी आन्दोलन चलाकर सफल हो पाएंगे, विचारणीय प्रश्न है। अगले दिन ही फुपुक्टा अपंजीकृत का उसी ईको गार्डेन मे धरना था, सैकड़ा पूरा होने मे मुश्किल हो गई। उस समय भी मैंने उस नेतृत्व से सामूहिक आन्दोलन मे प्रतिभाग करने का अनुरोध किया था परन्तु वह लोग नहीं माने और अपनी कमजोरी को सरकार के समक्ष पेश किया।
डा हरेन्द्र कुमार राय महामंत्री फुपुक्टा शिक्षक नेताओं से विनम्रतापूर्वक अनुरोध किया है कि 21 जनवरी 2020 को सामूहिक आकस्मिक अवकाश लेकर जनपद स्तर पर होने वाले सामूहिक प्रदर्शन में प्रतिभाग करें और अपनी संगठित शक्ति को प्रदर्शित करें। इसके अतिरिक्त हमारे पास कोई विकल्प शेष नहीं बचा है। हमारी सभी उपलब्धियां संघर्षों से प्राप्त हुई हैं और अब उसके रक्षा करने का समय आ गया है। यदि आज हमनें किसी तरह की लापरवाही बरती और ढिलाई की तो हमसब बंधुआ मजदूर बनने की परिस्थितियों की तरफ तो बढ़ेंगे ही , आनेवाला समय बहुत कठिन और दुखदायी होगा। अनुरोध मेरा, निर्णय आपका, भविष्य हम सभी का।

जनवाद टाइम्स

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