कार्पुरी ठाकुर जी कि जयन्ती इनरवा पंचायत भवन में अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष श्री शिव कुमार भंडारी जी के अध्यक्षता में मनाई गई
बिहार समाचार : आज दिनांक 24/01/2020 को कार्पुरी ठाकुर जी कि जयन्ती इनरवा पंचायत भवन में अति पिछड़ा प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष श्री शिव कुमार भंडारी जी के अध्यक्षता में मनाई गई ।
जननायक कर्पुरी ठाकुर जी का जन्म 24 जनवरी 1924 और मृत्यु 17 फरवरी 1988 को हुआ। वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक एवं राजनीतिज्ञ थे। वे बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री बन कर गरीब गुरबों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़े।लोकप्रियता के कारण उन्हें जन-नायक कहा जाता था। कर्पूरी ठाकुर का जन्म भारत में ब्रिटिश शासन काल के दौरान समस्तीपुर के एक गांव पितौंझिया, जिसे अब कर्पूरीग्राम कहा जाता है, में नाई जाति में हुआ था।जननायक जी के पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर तथा माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। इनके पिता गांव के सीमांत किसान थे तथा अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे।भारत छोड़ो आन्दोलन के समय उन्होंने २६ महीने जेल में बिताए थे। वह 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 तथा 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री पद पर रहे।
व्यक्तिगत जीवन संपादित करें
वह जन नायक कहलाते हैं। सरल और सरस हृदय के राजनेता माने जाते थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी किन्तु सेवा भाव के महान लक्ष्य को चरितार्थ करती नाई जाति में जन्म लेने वाले इस महानायक ने राजनीति को भी जन सेवा की भावना के साथ जिया। उनकी सेवा भावना के कारण ही उन्हें जन नायक कहा जाता था, वह सदा गरीबों के अधिकार के लिए लड़ते रहे। मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया।उनका जीवन लोगों के लिया आदर्श से कम नहीं।
वे राजनीति में कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक चालों को भी समझते थे और समाजवादी खेमे के नेताओं की महत्वाकांक्षाओं को भी। वे सरकार बनाने के लिए लचीला रूख अपना कर किसी भी दल से गठबंधन कर सरकार बना लेते थे, लेकिन अगर मन मुताबिक काम नहीं हुआ तो गठबंधन तोड़कर निकल भी जाते थे। यही वजह है कि उनके दोस्त और दुश्मन दोनों को ही उनके राजनीतिक फ़ैसलों के बारे में अनिश्चितता बनी रहती थी। कर्पूरी ठाकुर का निधन 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से मिरत्यु हो गया। इस अवसर पर श्री वीरेन्द्र प्रसाद यादव जी, श्री दीपक कुमार सिंह जी, श्री सुभाष सिंह जी, श्री गंगा प्रसाद जी, श्री सुरेन्द्र गोइत जी, श्री राजेन्द्र यादव जी, श्री महेश यादव जी, श्री अरुण कुमार यादव मिथिलेश कुमार यादव,श्री तनुक लाल राम जी सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।