
संवाददाता गुलाब चंद गौतम : अशोक विजयदशमी की अखिल विश्ववासियों को मंगलकामनाएं l जब इतिहास के पन्नों में अंकित तारीखें आपसे बात करने लगें, तो आपका अंतर्मन झंकृत हो जाने लगता है। उसको अधिाधिक गहराई से जानने के लिए उठाए कलम और अपने इतिहास का सृजन करें।
आश्विन मास की दशमी के दिन सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया था। इसलिए अखण्ड भारतवर्ष में आश्विन मास की दशमी को अशोक विजयदशमी मनाई जाती है। जो वास्तविक अर्थों में अपने अंदर की बुराई को खत्म करके अच्छाई के प्रवेश का पर्व है।
सम्राट अशोक जो कभी चण्ड थे आज ही के दिन धम्माशोक बने थे। आज ही के दिन बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भी धम्मदीक्षा लेकर हमें भारत की उस महान विरासत को वापिस दिया था जो सही अर्थों में बुराई का खात्मा करती है। अन्यथा कुछ लोग हर साल एक पुतला जलाकर बुराई के खात्मे का जश्न ही मनाते आ रहे हैं। बुराई तो मानव के अंदर है उसे खत्म करने के लिए भैषज्यगुरू बुद्ध की वाणी ही काम आएगी जो आपको अपना दीपक स्वयं बनने की ओर प्रेरित करेगी। आओ मनाएँ अशोक विजयदशमी और बताएं सत्य अपने नौनिहालों को इस दिवस की सच्चाई से रूबरू कराए।